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Sailesh Srivastava

Classics

5.0  

Sailesh Srivastava

Classics

तिरंगे की शान

तिरंगे की शान

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इतिहास गवाही देता जिसकी, कथा फिर आज सुनाता हूँ,


खेल की बात नहीं जो हमने, तिरंगा ये फहराया है।


दिल थाम के सुनो ऐ दुनियावालों, गर सुन सको तो,


इसका केसरिया रंग पाने को, कितना लहू बहाया है।


हरे रंग की हरियाली से, देश कितनी उन्नति पाया है,


सफेद रंग की सादगी को, दुनिया भर में फैलाया है।


अपनों में गिने जाते थे वो, जो नफरत आज करते हैं,


हमने उन काफिरों को भी, अपने दिल से लगाया है।


पड़ोसी बनने की चाह रखी, धोखे का हमें न इल्म हुआ,


उनके पुश्त न भूल पाएंगे, उनपर जो एहसान किया है।


लोकतंत्र से बंधे हैं वर्ना, जेहाद का मतलब समझा देते,


हमने सदा नफरत के बदले, दुश्मनों को भी प्यार दिया है।


जान देना जानते हैं क्योंकि, उसकी कीमत है पता हमें,


नजरें घुमा कर देखो, सदा दुश्मनों को धूल चटाया है।


गर्व है हमें उन शेरों पर, जिन्होंने देश पर सब लुटाया है,


रक्त जमानेवाली सर्दी में भी, जिसने तिरंगा लहराया है।


बस एक तमन्ना धरती माँ से, ये लाल तुम्हारा करता है,


एक मौका मुझे दे देना, सेवा के लिए ही जीवन पाया है।


आजादी की कीमत की, वो प्रथा हम भी निभाएंगे।


हंसते हुए जैसे वीरों ने, मौत को भी गले लगाया है।


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