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Sailesh Srivastava

Classics

5.0  

Sailesh Srivastava

Classics

नशा जश्ने आजादी का

नशा जश्ने आजादी का

1 min
434


दिया तोहफा फिर एक बार, इस देश को आजादी का,


क्या सही कर्ज अदा किया है, इस देश की माटी का।


साबित किया फिर एक बार, सही वक्त कभी नहीं आता,


दृढ़ निश्चय से कर सकता वो भला पूरी मानवजाति का।


कर ऐतिहासिक फैसला दिखाया, असंभव को संभव बनाया,


फर्ज निभा देशभक्ति का, कलंक मिटाया देश की छाती का।


था अंधेरा बंटवारे का जो, 70 सालों में न मिट पाया,


बस एक जिगरा चाहिए था, ये काम नहीं था लाठी का।


खेल किया था देश की एकता से, किया था ये गुनाह बड़ा,


देश था हमारा नहीं था कोई, मयखाना ये किसी साकी का।


एहसान रहेगा पीढ़ियों पर, जो न्याय का राह दिखाया है,


पराया था जो अपना होकर भी, उस कश्मीर को अपनाया है।


कर रहे कुछ आज भी राजनीति, शर्म उन्हें नहीं आती है,


आज मिला है एक और मौका, मांगने देश से माफी का।


जलते हैं तो जलते रहें, अपनों की शक्ल में जो बेगाने हैं,


सच कहूं तो विश्व देखेगा, इस बार नशा जश्ने आजादी का।


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