" तिरंगा "
" तिरंगा "
ये जो तिरंगा है
बड़ा ये सतरंगा है,
दिखता है ये तीन रंग में
लेकिन है ये हर रंग में,
प्यार के रंग से देखो तो
रंग जाता है इस रंग में,
अगर जो देखा नफरत से तो
मिटा देता उसको जंग में,
एक रंग जादू का इसमें
वश में हैं ना जाने कितने,
बहता रंगों के झरने में
रमता एक – एक के मन में,
सात सुर हैं तीन रंग में
बजता है दिल के मृदंग में,
केसरीया रंग निस्वार्थ त्याग का
श्वेत रंग शान्ति और ज्ञान का,
हरा हमारी समृद्धि दिखता
तो चक्र हमें चौकन्ना रखता,
शान से इसके लहराने से
गर्व से इसको फहराने से,
हर एक हिंदुस्तानी तनता है
इसी तिरंगे से देखो तो
हमारा हिंदुस्तान बनता है।
