तिल -तिल रोने दो।
तिल -तिल रोने दो।
स्वार्थ भरे इस जीवन को, श्री चरणों में झुकने दो।।
मन भटक रहा, तड़प रहा, श्री चरणों की चाह लिए।
स्नेह भरी मुस्कान से, हृदय के तपन को मिटने दो।।स्वार्थ भरे....
तेरी याद में जो गुजरी मेरी रातें, संजोकर चाहता, उनको लिए।
रहमो -करम है सिर्फ तेरा, अपने चरण रज को छूने दो।।स्वार्थ भरे......
तुम तो हो मेरे पिता, अबोध बालक सा फिरता रूप लिए।
वात्सल्य, ममता की चाहत में, माथा दर पर पटकने दो।।स्वार्थ भरे.....
सेवा का रस जान, करता रहा सिर्फ अभिमान लिए।
सेवा का मुझको भान ना हो, प्रभु निष्कामता का पाठ पढ़ने दो।।स्वार्थ भरे......
घड़ियालीअश्रु नित बहाये मैंने ,छल -कपट को अपने साथ लिए ।
जीवन तो आँसू की कहानी है," नीरज" को तिल- तिल रोने दो।।स्वार्थ भरे.....
