STORYMIRROR

Neeraj pal

Abstract

4  

Neeraj pal

Abstract

तिल -तिल रोने दो।

तिल -तिल रोने दो।

1 min
274


स्वार्थ भरे इस जीवन को, श्री चरणों में झुकने दो।।


 मन भटक रहा, तड़प रहा, श्री चरणों की चाह लिए।

 स्नेह भरी मुस्कान से, हृदय के तपन को मिटने दो।।स्वार्थ भरे....


 तेरी याद में जो गुजरी मेरी रातें, संजोकर चाहता, उनको लिए।

 रहमो -करम है सिर्फ तेरा, अपने चरण रज को छूने दो।।स्वार्थ भरे......


 तुम तो हो मेरे पिता, अबोध बालक सा फिरता रूप लिए।

 वात्सल्य, ममता की चाहत में, माथा दर पर पटकने दो।।स्वार्थ भरे.....


 सेवा का रस जान, करता रहा सिर्फ अभिमान लिए।

 सेवा का मुझको भान ना हो, प्रभु निष्कामता का पाठ पढ़ने दो।।स्वार्थ भरे......


 घड़ियालीअश्रु नित बहाये मैंने ,छल -कपट को अपने साथ लिए ।

जीवन तो आँसू की कहानी है," नीरज" को तिल- तिल रोने दो।।स्वार्थ भरे.....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract