तीर्थ
तीर्थ
मंदिर- मंदिर खाक छानता।
तीर्थ यात्रा का नाम जानता।
कहीं पहाड़ पर, कहीं नदी में।
न जाने कहां कहां विचरता।
तीर्थाटन की महिमा भारी।
भ्रम में पड़े हुए नर- नारी।
संस्कृति से पहचान कराती।
जगत की तीर्थ यात्रा हमारी।
कहीं समुद्र में कहीं गिरि पर।
कंदराओं में कहीं भूमि पर।
जगह जगह देवालय हमारे।
कहीं पत्थरों में कहीं पेड़ पर।
तैंतीस कोटि हैं देव हमारे।
फिर क्यों हैं भरम के मारे।
वसु, रूद्र, अश्विनी, आदित्य।
सब बसते हैं मन में हमारे।
हर तीर्थों की महिमा तो जान।
देव-देवियों का करें गुणगान।
अलग अलग लीला है उनकी।
वेदों पुराणों में वर्णित है ज्ञान।