तीन बंदरों की सीख
तीन बंदरों की सीख
कुछ करना होता अति अच्छा,
और कुछ करना बहुत बुरा।
मधुर सत्य तो बड़ा है मुश्किल,
हम सदा सत्य मधुरता से बोलें।
जो हमें बोलना है पहले उसको,
मन में तोलें और फिर हम बोलें।
एक बंदर तीन में से यह सिखाए,
हम कभी न बोलें कुछ भी बुरा।
भला बुरा जग में सदा रहा है होता,
विरोध बुरे का कर दें भले का साथ।
न्याय व्यवस्था का सदा करें समर्थन,
अन्यायी को दिखा दें उसकी औकात।
सब संकल्प करें -कहे दूजा बंदर ऐसा,
सब शुभ होगा दिखे न कुछ भी बुरा।
क्रोध नष्ट कर देता है सबकी बुद्धि,
सुविचार शक्ति सब खो ही जाती है।
प्रेम बंधुता भाव बढ़ाकर देता है शक्ति,
क्रोध भरे शब्द सबको आहत करते हैं।
सब प्रेम पूर्ण भाषा ही तीजा बंदर ये बोले,
बुरे मिलें न- शुभ ही सुनने को मिलते हैं।
कहें -सुनें न बुरा न देखें हम मिल जुल ऐसा जहां बनाएं,
नहीं असंभव है कुछ इस दुनिया में -ऐसे भाव जगाते जाएं।
मिटे बुराई इस वसुधा से -सब ऐसे ही आशा के दीप जलाएं,
कलियुग की सब करें विदाई -जग में हम रामराज्य ले आएं।