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Vijay Kumar parashar "साखी"

Abstract Others

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Vijay Kumar parashar "साखी"

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थोथा चना

थोथा चना

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थोथा चना बाज रहा

अपना ज्ञान बांट रहा


न कोई पूछता उसको

न कोई ढूंढता उसको


वो चिल्ला-चिल्लाकर,

फिजूल ही हांफ रहा


थोथा चना बाज रहा

पानी में वो नाच रहा


बेमतलब वो बोलता,

अपनी जिह्वा खोलता,


फूटा घड़ा होकर,

वो अंधेरा छांट रहा


थोथा चना बाज रहा

अपनी शेखी बांट रहा


बच निकल तू साखी

थोथे को न बना साथी


अधूरे ज्ञान से बेहतर

अज्ञानी रहना अच्छा है


थोथा चना होता, 

बहुत बड़ा आत्मघाती


जो न बनता,

साथ न रखता,


थोथे चने की पाती


वो फ़लक में होता,

सितारे की भांति



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