थाम लो
थाम लो


कोई तो थाम लो
जीवन दिया जिसने
उसकी जीवन रूपी नाव को
कोई तो थाम लो
रिश्ते अनगिनत
फिर भी अकेले हम सब
रिश्तों को ना नहीं
खून की कीमत
कोई तो जांच लो...
जिसने संग निभाया
तुम्हें चलना सिखाया
उसे आज अपना
थोड़ा सा ही सही
कुछ तो साथ दो...
दूर से ही सही
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परछाई सा एहसास दो...
राहों में डर कर बैठना क्या
माँ को जाते देखना क्या
ये रिश्ता अनमोल ये रिश्ता...
आज पहले की तरह
तुम फिर से एक आवाज दो....
अश्रु की धारा थकती नहीं
आंखों की प्यास बुझती नहीं...
कुछ तो कहो
कहो कुछ तो सुनो ....
ये पल आखिरी ना हो जायें कहीं
इन पलों को थाम लो....
इन जाते पल थाम लो..!