तेरी सुन्दरता
तेरी सुन्दरता
सुन्दरता नहीं सिर्फ तेरी देह में
सुन्दरता जो भरी मानव गेह में
जिसे तुम परोसती हो सदा नेह में
जिसे हम देखें नहीं तनिक संदेह में I
तेरी सुन्दरता जो जग पावन करती
हर तन मन में जो विश्वास है भरती
जो इस जग का और उस जगत का
जैसे किसी भगवान और भगत का
अनुपम निस्वार्थ जग तारण छवि
जैसे जगत को प्रकाशित करे रवि I
वो सुन्दरता जिससे जग सुना है
जिस बिन देह पाहन से बना है
उपमा वहीँ जो जग ने चुना है
हजारों बूंद जो मिले मानवता मेह में
सुन्दरता नहीं सिर्फ तेरी देह में
सुन्दरता जो भरी मानव गेह में
जिसे तुम परोसती हो सदा नेह में
जिसे हम देखें नहीं तनिक संदेह में I