तेरी चाहत
तेरी चाहत
गुलाबों के बग़ीचे में एक गुलाब यूं खिला
चक्षु स्थिर हुए, धड़कनें थम सी गईं
लबों पे मुस्कान आते आते रुक सी गई
उसकी सुंदरता के आगे , कायनात थम सी गई।।
बखूब रूप की तुम मलिका हो प्रिये
प्यासे दिलों की झील हो तुम प्रिये
मेरे अरमानों की तस्वीर हो तुम प्रिये
मैं तो बस तुम्हारा ही हूं ,,ओ प्रिये।।
आ जाओ मेरी बाहों में यूं न तड़पाओ
एक सकूं मिलेगा ,मेरी जान मान जाओ
देखो जिद न करो , यूं न घबराओ
प्यार भरा दिल पुकार रहा है,अब तो करीब आओ।।
निभाएंगे वफा, छोड़ें गे न साथ तुम्हारा
तुम संग मिल जीत लेंगे जग सारा
बना जीवनसाथी ,हर डगर पार करेंगे
तुम संग नई जिंदगी की शुरुआत करेंगे।।

