तेरेे प्यार को सलाम साहिबा
तेरेे प्यार को सलाम साहिबा
सूखी शाख सी मेरी ज़िंदगी में
तुम्हारे पहले प्यार के
शबनमी एहसास सी
तेरी चाहत को सलाम ओ साहिबा...
सुबह की पहली सोच संग
ख्यालों में समाकर मेरे बादामी रुखसार में
रोशनी भरती तेरी सरगोशीयों को
सलाम ओ साहिबा...
उदास शाम में पीछे से आकर
लिपटकर गालों को चूमने की तेरी
हर अदाओं पे
कुरबान हूँ साहिबा...
गम से बोझिल
रात में हर करवट पे
तेरी याद का आना लगे सुहाना
ओ साहिबा...
झुकी पलकें लबों से उठाकर
मेरे मौन लबों पर
हँसी बन तेरा ठहरना उफ्फ़ तौबा
बनी तेरी मैं कायल सुन साहिबा..
हर दम मेरा हाथ थामे
संग-संग चले तेरा साया
तेरी हमनवाज़ी पे मैं
वारी ओ साहिबा...।।

