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Amit Bhatore

Romance

3  

Amit Bhatore

Romance

तेरे प्यार में उलझा जब से

तेरे प्यार में उलझा जब से

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तेरे प्यार में उलझा जब से संदल सा महक रहा हूँ

बदल सा उमड़ घुमड़ के आसमान में बहक रहा हूँ।


बारिश में भीगे बच्चे के जैसे तुम भी इठलाओ

कंचे, गिल्ली डंडे और पतंग उड़ाकर दिखलाओ

तितली के पीछे दौड़कर चिड़िया सा चहक रहा हूँ

तेरे प्यार में उलझा जब से संदल सा महक रहा हूँ।


सावन में इस बार झूमकर बादल जैसे बरसेंगे

देर रात तक रात रानी के फूलों जैसे महकेंगे

रात अमावस काली में भी ध्रुव तारे सा चमक रहा हूँ

तेरे प्यार में उलझा जब से संदल सा महक रहा हूँ।


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