तेरे प्रेम को घर बनाएंगे हम
तेरे प्रेम को घर बनाएंगे हम


चलो आज जमाने से जुड़ जायें हम
थोड़ा और थोड़ा और सम्भल जायें हम
महक जायेंगे ये चमन, ये गलियाँ, ये सावन
प्यार की खुशबू ऐसी बिखरायेंगे हम
करेंगे सफ़र तेरे साथ हम तो
गर तेरा साथ जो पा जायेंगे हम
बुरा क्या है, न जाने भला क्या है
तेरे प्यार में खुद को रंग जायेंगे हम
सिला जो मिले मुझे वक़्त के जुबानों से
तेरे साथ फिर भी हर पल बितायेंगे हम
ये जमाना मुझे अब भाता नहीं
चाहत में तेरी खुद को भुला जायेंगे हम
तू मुझ में बस जा, मैं तुझ में समा जाऊँ
तेरे प्रेम को अपना घर बनायेंगे हम