तेरे नैन
तेरे नैन
कुछ तो है तेरे नैनों में,
जो करते हैं मजबूर मुझे सोचने में।
कहने को तेरे नैन हैं ,
पर इनकी गहराई क्या,
किसी समंदर की गहराई से कम है ?
एक ठहराव सा है इनमें ,
जो हलचल मचा देती है दिल में।
कुछ तो है तेरे नैनों में,
कितना कुछ कह जाती है, कुछ ही पल में।
तेरे नैन हैं या कोई शीशा,
इनमें खुद को देखना है एक नशा।
इतना आसान नहीं है, तेरे नैनों में खोना,
कहीं मुश्किल ना हो जाए खुद को पाना।
समंदर की गहराई से तो डर लगता है,
पर तेरे नैनों में डूबे रहने का मन करता है।
शराब को तो कभी हाथ नहीं लगाया,
पर तेरे नैनों के नशे में डूबना खूब भाया।
अब तो सपनों में भी तेरे नैन पीछा नहीं छोड़ते,
हर पल मुस्कुराहट की एक फुहार छोड़ जाते।
कुछ तो है तेरे नैनों में,
जो बांधे रखते है हमें एक डोरी में।
अब तो भगवान से ये दुआ मिल जाए,
मेरे मन को तेरे नैनों की मंजूरी मिल पाए।

