निडर भवानी
निडर भवानी
सबकी प्यारी है तू भवानी,
दादी-नानी से सुनी कहानियाँ पुरानी।
पशु, पक्षी, इंसान या दानव,
हर पात्र से था तेरा सच्चा लगाव।
हर काम में तू तेज़, सबसे आगे कदम तेरे,
बड़ी होती गई, बीतते गए तेरे हर सवेरे।
माता-पीता की तू लाड़ली रानी,
बचपन से जवानी, तूने खूब निभाई कहानी।
कदम तेरे क्यों आज लड़खड़ा रहे हैं?
मन ही मन क्यों डर तुझे सता रहे हैं?
जब नौ देवियाँ बसी हैं तेरे अंदर,
भर ले तू खुद में धैर्य और साहस का समन्दर।
नारी है तो क्या हुआ?
देवी ने तुझे अपना नाम दिया।
इस नाम का मान अब तुझे रखना,
हर राह पर हिम्मत से बस डटे रहना।
मुश्किलें आएँगी, पर हार न मान,
देवी की मर्ज़ी से ही होगा सारा काम।
बस खुद पर भरोसा कर एक बार,
फिर डर तेरा होगा बिल्कुल बेकार।
आंधी-तूफ़ान तुझे ना रोक पाएंगे,
जब तेरे इरादे और मंज़िल सच्चे बन जाएंगे।
हार से डरना कैसा है,
जब हर हार तुझे जीत का रास्ता दिखा रहा है।
सफलता तेरी राह तक रही,
बस मेहनत की घड़ी अब पास आ रही।
अपने मन को दृढ़ करना है तुझे,
और अपने डर ने को हारते देखना है।
