तेरे नाम ......पर
तेरे नाम ......पर
ईश्वर तेरे नाम पर
ईश्वर तेरे नाम पर ,कितना व्यापार चलता है ।
सुख की आस में,हर इंसान दुःख के मझधार में पलता है।
ईश्वर तेरे नाम पर ,कितना व्यापार चलता है ।
कौन ......सुखी हैं? इस प्रश्न का उत्तर ही नहीं मिलता है।
यह कौन -से कर्मों का फल है .जिसका लेखा-जोखा फलता है।
ईश्वर तेरे नाम पर ,कितना व्यापार चलता है ।
दुनिया भी तूने बनाई।
इंसान भी तेरे सभी,फिर कहां से बुरे कर्मों की, पहेलियाँ तुमने घड़ी।
हर इंसान जिंदगी भर नर्क की आग में जलता है ।
कहाँ..... कौन सा स्वर्ग है ।
जो दुख -दर्द मिटाने के लिए ,सुख की झूठी आस पर चलचित्र -सा चलता है।