तेरा कोटि कोटि आभार
तेरा कोटि कोटि आभार
चला गया अजातशत्रु,
अपना वैभव छोड़कर,
हम निशब्द खड़े रहे,
अपने हाथ जोड़कर,
प्रखरवक्ता जननायक था,
जो उड़ गया अनंत,
गणनायक विश्वरत्न का भी,
आज हो गया क्यों अंत,
अलविदा हे युगपुरूष,
आज अंबर के अश्रुपात हुये,
अटल सत्य के आगे मानो,
स्तंभित सब जज्बात हुये,
भारत रत्न का स्वर्णिम चतुर्भुज,
ताक रहा निर्माता को,
भाव शून्य और मौन हुआ क्यों,
दया ना आई विधाता को,
कृतज्ञ जनमानस और,
राजनीति भी कृतज्ञ है,
बेदाग छवि पर तेरी कविवर,
राष्ट्र ही कृतज्ञ है,
कमल की भांति निष्कलंक रहे,
तुम अपने स्वाभिमान से,
खूब सींचा भारत को तुमने,
तनिक चुके ना अरमान से,
शोकित व्याकुल हृदय की पीड़ा,
आत्मा निराधार है,
तेरे कृत्यों पर महामानव,
वंदन बारंबार है,
तेरा कोटी कोटी आभार है।
तेरा कोटी कोटी आभार है।।
