तेरा इंतज़ार
तेरा इंतज़ार
2122 1212 22/112
बस तिरा इंतज़ार है कब से,
मांग लूँ अब तुझे मैं उस रब से।
दुनिया की ना लगे बुरी नज़रें,
आ छुपा लूँ तुझे मैं इन सब से।
जब से देखा तुझे है ओ जाना,
चाहती हूँ मैं बस तुझे तब से।
ख़ुश्क लब मेरे हो गए गीले,
जो मिले तेरे लब मिरे लब से।
ना-गवारा है तेरे बिन जीना,
आए हो ज़िन्दगी में तुम जब से।
1st October 2021 / Poem 40