तेरा ही नाम
तेरा ही नाम
मन के एकांत में
सागर तट की
गीली रेत पर
सैकड़ों बार लिखा हमने
तेरा ही नाम।
दिल के अकेलेपन में
ठंडे बिस्तर की
सन्नाटी शीतलता में
हजारों बार जिया हमने
तेरा ही नाम।
आँखों के सूनेपन में
गीली कोरों को छिपाते हुए
हजारों बार लिया हमने
तेरा ही तो नाम।
घर की चाहत में
बुने गए सपनों के महल पर
सैकड़ों बार पढ़ा हमने
तेरा ही नाम।
ऊँचाईयों को छूते हुए
नापते हुए गहराईयाँ
जीवन की
हजारों बार देखा हमने
बस, तेरा ही नाम।
फिर भी
आता नहीं साथ कभी
मेरे नाम के साथ
तेरा क्यों नाम?

