तेरा डर
तेरा डर
तू भी क्या गज़ब करती है,
याद तू हमें हमेशा करती है,
पर कहने से तू क्यों डरती है?
ये दिल का डर तू निकाल दे,
दिल की बातें लबों से बोल दे
इतनी भोली तू क्यूं बनती है?
हमें तू क्या पराया समझती है?
याद तू हमें हमेशा करती है
तू गर हमें प्यार नहीं करती है
छिपकर तू क्यों देखा करती है?
जब कभी हम न आये तेरे सामने,
तू क्यों रोनी सी सूरत करती है
प्यार किया है,इज़हार भी कर ,
तू क्या शीशे के अक्स से डरती है?
याद तू हमें हमेशा करती है
पर कहने से तू क्यों डरती है।

