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तेजाब

तेजाब

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तेजाब से सिर्फ चेहरे ही नहीं जलते,

अस्तित्व भी छलनी हो जाते हैं, दम तोड़ जाते है कुछ सपने।

न जाने कितनो की आकांक्षाओं कुचल दिये जाते हैं,

न खत्म होने वाले निशान रह जाते।


क्या तुम अभी भी अपनाओगे मुझे,

इस विकृत चेहरे को।

अपनी मोहब्बत को साबित नहीं करोगे,

क्या तुम मे इतनी हिम्मत हैं।


इस खूबसूरत सूरत पर जान देते थे,

जब इतना ही प्यार करते थे,

क्यूँ फेंक दिया तेजाब चेहरे पे

तुम्हारी नाकामी या मेरा इनकार,

अपनी मोहब्बत को साबित कर देते।


अगर ये तेजाब तेरे चेहरे पड़ जाते,

फफक पड़ते तुम भी दर्द से,

तुम तो मुझे जान कहते थे फिर निर्दयी कैसे बन गये।

क्या तुम्हारे दिल ने नहीं रोका,

बुजदिल था तुम्हारा प्यार जो

जरा सा ठुकरा देने पे खत्म हो गया।


ये तेजाब तेरे इश्क पे था,

जिस पे तुम इतराते थे बड़े कायर निकले।


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