फैंक दिया तेजाब
फैंक दिया तेजाब
सिर्फ चेहरे को नहीं,
अस्तित्व को छलनी करता हैं
जिस सूरत पे तुम जान देते थे,
निर्दयी होके तुम फेंक दिये तेजाब।
कैसे आशिक थे जो इतने बेरहम निकले,
अपनाओगे क्या तुम मेरे तेजाब से जले चेहरे को
मेरे इनकार को तुमनें नाकामी समझा,
था पौरुष तो साबित करते।
तुम भी बुजदिल निकले,
तुम्हारा इश्क भी खोखला था
बहुत हिम्मत दिखाई तुमनें जो तेजाब फेकें,
यही तेजाब अगर तेरे चेहरे पे पड़ जाय,
फफक पड़ते तुम भी दर्द से।
जानते हो तुम्हारी इस बुजदिली से,
न जाने कितने सपनें दम तोड़ देते हैं,
घर की दहलीज कैदखाना बन जाती है
तुम्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा, तुम कोई और ढूढ़ोग।
उम्र भर की ये निशानी,
जब भी आइने मे देखती हूं
मुझे तुम जैसो पे तरस आता है,
कितने कमजोर थे तुम्हारे इरादे
जो मेरे इनकार से टूट गये।
क्या अब भी तुम मुझे हासिल करना चाहोगे
इस तेजाब से जले चेहरे के साथ।
बहुत जान वारते थे इस चेहरे पे,
अपनी मोहब्बत को साबित कर पाओगे।
सड़कछाप तुम पहले भी थे आज भी हो,
ये तेजाब तुम्हारी कायरता थी
क्या स्वीकार कर पाओगे।