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तड़प

तड़प

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रोज़ यूँ ही कोई याद मुझे रुला देती है

सुना है वो यूँ ही सबको भूला देती है।।

दर्द, बेबसी, तन्हाई कल तक सिर्फ शब्द थे मेरे लिये

अब तो जिंदगी हर रोज इन चीजो से मिला देती है।।

शिकायत हो गई है जिन्दगी से एक मोहब्बत करके

अब जिन्दगी भी हमे रोज़ गिला देती है।।

कोशिश है कि भूल जाऊं तुझको मैं एक झटके में

पर ये जिंदगी रोज़ तेरी यादों का घूंट फिर से पिला देती है।।


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