ताटक छंद...
ताटक छंद...
चलो समर्पण खुद को कर लें,
मान दिलाने माता को ।
धिक-धिक जो हम काम न आऍं,
भारत भू-रज दाता को ।।
घर में ही जयचंद छिपे हैं ,
गद्दारों को पहचानो ।
मात-पिता को लज्जित करते,
हत्यारों को सब जानो।।
हॅंसते-हॅंसते दान करूॅंगा मैं,
गर्वित शीश विधाता को ।
चलो समर्पण खुद को कर लें,
मान दिलाने माता को ।।