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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract Inspirational

ताटक छंद...

ताटक छंद...

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चलो समर्पण खुद को कर लें,

    मान दिलाने माता को ।

धिक-धिक जो हम काम न आऍं,

    भारत भू-रज दाता को ।।


घर में ही जयचंद छिपे हैं ,

     गद्दारों को पहचानो ।

मात-पिता को लज्जित करते,

     हत्यारों को सब जानो।।

हॅंसते-हॅंसते दान करूॅंगा मैं,

    गर्वित शीश विधाता को ।

चलो समर्पण खुद को कर लें,

    मान दिलाने माता को ।।



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