ताने
ताने
रिश्तो को कमजोर
बना देते हैं
रिश्तो में
गाँठ लगा देते हैं।
गाँठे इतनी बढ़ जाती है
की एक दिन
रिश्ते टूटने को
मजबूर हो जाते हैं।
रिश्तों को सुलझाने के
सारे के सारे किवाड़
बंद हो जाते हैं।
दूरियाँ इतनी बढ़ जाती है
की खाई में तब्दील हो जाती है
एक दूसरे शक्ल
तो क्या नाम से भी
नफरत हो जाया करती है।
नफरत की खाई हमेशा
वक्त के गहराती है
और तानों की मार से
रिश्तों का वृक्ष सुखाती है।