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Arun Gode

Abstract

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Arun Gode

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तानाशाह की सियासत.

तानाशाह की सियासत.

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विरोधी नेताओं का अपने मुखियां से था कहना

कुटनीतिक फैसले सोच समझकर करना,

सुनो मेरे सभी राजनैतिक भाईयों और बहना,

क्योंकि हाय-राम तानाशाहा का आया हैं जमाना. 

तानाशाही लोकप्रियता से विरोधीयों को छुटा पसीना,

घोटालेबाजों अभी भरना होगा घोटालों का हर्जाना.

तानाशाहा नहीं लगता हैं कुटनीति का खिलौना,

समर्थको का उनके नेताओं से यही हैं कहना. 


राजनेताओं के बेटे-बेटियों का जायज हैं रोना,

पुराने घोटाले में बहु-दामाद का हकलाना.

नहीं चलेगा इधर –उधर का अभी बहाना,

क्योंकि हाय-राम तानाशाहा का आया हैं जमाना.


चारों तरफ से आया है समास्याओं का तूफान,

जटिल नजर आता हैं समस्याओं का समाधान.

चारों तरफ फैल रहा हैं ईडी,सीडी, जीएसटी का पैमाना,

कठिन किया तानाशाहाने विरोधी राजनेताओं का जीना.


डीजिटल इंडियां से मुद्रा का बना हैं फसाना,

नोटबंदी से लडखडायां राजनीति का आशियाना.

गौर से सुनों हमारे विपक्षी गठबंधन के सरगना,

क्योंकि हाय-राम तानाशाहाका आया हैं जमाना.


नोटबंदी ने लूटा पुराने काले नोटों का खजाना,

आज बन गया आम बच्चों का वो खिलौना.

नोटबंदी ने लडखडाया नेताओं का याराना,

कूटनीति से विरोधी नेताओं का जारी है गिडगिडाना.


आम चुनाव में कैसे लगेगा जीत का निशाना,

तानाशाहा हैं झूठे वादों का करिशमाई सरगना.

चुनावी वादें होते हैं सियासी जुमलें सत्ता पार्टी कहना,

आम आदमी का चुर-चुर हुआ पंद्रह लाख का सपना. 


मोटाभाई का हैं ये अजमायां सियासी धंदा पुराना,

तानाशाहा के पास ना कोई तोड ,ना कोई बहाना.

अपने ही जुमलों से तानाशाह को छुटता हैं पसीना,

फिर वो विश्र्वभ्रमण के लिए हो जाता हैं शीघ्र रवाना. 


हाय-राम तानाशाहा की समस्या से कैसे छुटकारा पाना,

देखो, कैसे-कैसे राजनेताओं का आया हैं देश में जमाना.

आम जनता सोच में पडी कैसे जीना और कैसे मरना,

जहाँ षडयंत्र और चतुराई से होता शर्मसार संसद में संविधान।



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