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J P Raghuwanshi

Inspirational

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J P Raghuwanshi

Inspirational

"स्वयं की मनोदशा"

"स्वयं की मनोदशा"

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कुछ थका हुआ हूं,

मन व्यथित है।

परिस्थितियां कुछ ऐसी है,

कई रातों का जगा हूं।


आत्मा कुंठित है,

अपने ही लोगों की परीक्षा में।

अनेको बार बैठा हूं,

क्या बताऊं।

हर बार छला गया हूं।


यह संसार घना जंगल है,

मैं अंजान-सा राही।

भूल भुलैया में भटका हुआ हूं।

कुछ थका हुआ हूं,

मन व्यथित है।।


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