मैं भटका हुआ मुसाफ़िर ,तुम बरगद की छांव से मैं सर्द शामों की कंपकपाहट ,तुम अलाव से मै मैं भटका हुआ मुसाफ़िर ,तुम बरगद की छांव से मैं सर्द शामों की कंपकपाहट ,तुम अल...
अरमा था तो बस इतना, की कोई सर पे प्यार से हाथ रखे अरमा था तो बस इतना, की कोई सर पे प्यार से हाथ रखे
जो तुझ को छू कर आया है जो तुझ को छू कर आया है
केवल स्थूल भोग ही मन को अधिक रास आता भोगवश ही मन चंचल और अस्थिर होता जाता! केवल स्थूल भोग ही मन को अधिक रास आता भोगवश ही मन चंचल और अस्थिर होता जाता!
आत्मा कुंठित है, अपने ही लोगों की परीक्षा में। आत्मा कुंठित है, अपने ही लोगों की परीक्षा में।
हे श्याम सुंदर गिरिवर धारी, पुकार मेरी तू सुन लेना। हे श्याम सुंदर गिरिवर धारी, पुकार मेरी तू सुन लेना।