शुद्ध विचार स्वर्ग बनाए संसार
शुद्ध विचार स्वर्ग बनाए संसार


केवल स्थूल भोग ही मन को अधिक रास आता
भोगवश ही मन चंचल और अस्थिर होता जाता
इसी उलझन में मन अपनी ही अवनति करवाता
एक पल में ना जाने मन क्या क्या सोचता जाता
अभी खाना है या पीना है या भ्रमण करने जाना
घर दुकान धन के प्रलोभन में उलझता ही जाता
ऐसा अनियन्त्रित मन ही जीवन में बेचैनी लाता
ना जाने कितनी योजनाएं मन बार बार बनाता
विनाशी इच्छाओं के पीछे मन को ना भटकाओ
भटका भटकाकर अपने मन को भूत ना बनाओ
अपने मन को किसी भी प्रलोभन में ना झुकाओ
एक लक्ष्य की तरफ मन को प्रेरित करते जाओ
शुद्ध विचारों से निरन्तर मन को भरपूर बनाओ
अल्पकाल के सुखों से तुम किनारा करते जाओ
सुख साधन का चिन्तन मन से निकालते जाओ
अध्यात्म चिन्तन में अपने मन को डुबाते जाओ
श्रेष्ठ चिन्तन करके मन को शक्तिशाली बनाओ
इसी शक्ति के द्वारा महान कार्य कर दिखलाओ
उत्साह सम्मान शुभ भावना सबको देते जाओ
इन्हीं शुद्ध विचारों द्वारा संसार को स्वर्ग बनाओ!