स्वतन्त्र इनकी रवानी है
स्वतन्त्र इनकी रवानी है
अरे क्यूँ ठुकराते हो बुजुर्गों को,
स्वतन्त्र इसकी रवानी है, ,
क्या समझो तुम ठुकराने से इनको,
मिले हवा ना पानी है,
हवा मिले पानी भी मिलेगा,
सझम जीव ये प्राणी है,
ढूँढ के देखो तुम इनमें,
हर वाणी में पानी है ,
अरे क्यूँ ठुकराते हो बुजुर्गों को,
स्वतन्त्र इनकी रवानी है,
अब्दुल कलाम बुजुर्ग थे,
अटल बुजुर्ग थे,
और बुजुर्ग राष्ट्रपिता,
महात्मा गांधी थे,
रच डाला इतिहास इन्होंने,
गवाह कलम दिवानी है,
अरे क्यूँ ठुकराते हो बुजुर्गों को,
स्वतन्त्र इनकी रवानी है,
थे बुजुर्ग गुरू नानक देव,
संत कबीर सुकमानी हैं,
ज्ञान का प्रचार किया इन्होंने,
हर ओर प्रसिद्ध निशानी है,
कबीर के दोहे गुरु की वाणी,
ता की दुनिया दिवानी है,
अरे क्यूँ ठुकराते हो बुजुर्गों को,
स्वतन्त्र इनकी रवानी है,
सेवा कर इनकी तुम,
ज्ञान बटोरो इनके घट से,
प्रचार प्रसार कर,
ज्ञान का जग में,
मान बटोरो जग जग से,
बने दुनिया भी ज्ञानी है,
अरे क्यूँ ठुकराते हो बुजुर्गों को,
स्वतन्त्र इनकी रवानी है,
