स्वराज
स्वराज
अपना हाथ जगन्नाथ
कहावत ये मशहूर है
फिर गुलामी क्यों रहे
स्वराज्य पर गुरुर है
अपना देश,अपना संविधान
कार्य अपने हो महान
निर्णय अपने स्वयं करें
विकासोन्मुख डगर चलें
स्वराज्य अपना अधिकार है
इसी से हमें प्यार है
इसी की ख़ातिर क़ुर्बान हुए
शहीद देश की शान हुए
स्वराज्य का, सच्चा अर्थ जानें
मनमानी को न स्वराज्य माने
अत्याचार नहीं स्वराज्य
भ्र्ष्टाचार नहीं स्वराज्य
सर्वप्रथम मानवता पहचाने
बुने देशहित ताने-बाने
भेद जाति, वर्ग दीवारें
वसुधैवकुटुम्ब भाव पसारे
स्वराज्य को सार्थक करवाएं
गर्व से अपना ध्वज फहराये
