स्वराज
स्वराज
है थोड़ा सा लापरवाह, पर लाज़वाब है वो,
अँधेरे को जो रोशन कर दे
ऐसा आफ़ताब है वो,
यूहीं नहीं, स्वराज है वो...
अपनी बाँतों को जो दरकिनार करें,
दूसरों के लिए जो मशाल सी जले
चिंगारी नहीं ज्वालामुखी का भंडार है वो,
यूहीं नहीं, स्वराज है वो...
ज़िद तो है, पर थोड़ी चाहत भी उसमें,
न मिलने पर संभाल सके
ऐसी राहत भी है उसमें,
गिर के उठने की आगाज़ है वो
यूहीं नहीं, स्वराज है वो...
वादो - विवादों को भूल जाता है,
पर मानवता का धर्म बड़ी शिद्दत
से निभाता है,
कौन इसको ये पाठ भी पढ़ायेगा की,
ज़माना अपनी देख आगे निकल जायेगा
दुनियाँ की बहुत कर ली
कुछ अपने लिए भी तो सोच,
जिंदगी यूहीं निकल जाएगी
कुछ पल तो ख़ुद के लिए रोक,
तकलीफ़,
अपनी छोड़ औरो की उसे दिखती है
परेशानियाँ कभी - कभार चेहरे पर टिकती है,
लाँखो की जिंदगी का सरताज है वो
यूहीं नहीं, स्वराज है वो...
अगर,
आज कुछ सीखना है स्वराज से
तो सिखों,
की ज़माना झुकता है सच की आवाज़ से
न की गाली, धमकी और
बेमतलब की बकवास से...