स्वप्न सुहाना
स्वप्न सुहाना
मेरा यह था ख्वाब
यह था खयाल
कि दरो-दीवारों को
हसीं और रंगीं बनाया जाएगा।
रंगीली होंगी नज़रें भी नजरिया भी
इन्द्रधनुष हरसू नज़र आएगा
चलेंगी बयारें भी सुन्दर सतरंगी
उम्मीदों का नया सूरज
क्षितिज पर जगमगाएगा
यह सुन्दर स्वप्न सुहाना
इक दिन सच हो जाएगा
अबकी बार जब होली
का दिन आएगा
अबकी बार जब
होली का दिन आएगा।
