सवाल विद्यार्थी मन के
सवाल विद्यार्थी मन के
क्या भूलूँ क्या याद करूँ
मैं किससे अब बात करूँ
किससे अब फरियाद करूँ
ये कैसा दौर हुआ है
किससे मुलाकात करूँ?
खुद से ही होती है बातें
तन्हा ही बीत रही है रातें
रोटी चावल दाल करूँ
गुल्लक में रखे पैसों को
कैसे इस्तेमाल करूँ?
नहीं पड़ता है दफ्तर जाना
कालेज भी अब हुआ वीराना
डिजिटल का ये हुआ जमाना
नहीं बैंक में एक भी दाना
कैसे चैन की सांस मैं लूं
कहा जाऊँ क्या काम करूँ?
ट्यूशन से तो घर चलता था
अपना भी जीवन कटता था
कैसे बीतेंगे दो महीने
खुद से यही सवाल करूँ!