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Harshita Srivastava

Others

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Harshita Srivastava

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प्रेमजाल

प्रेमजाल

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तेरा प्यार पल पल

मेरे साथ चलता है

सुबह सूरज सा

निकल सांझ ढलता है।


तू वो है जिसके लिए

मन मचलता है।

जैसे संगीत अब

सदाओं में बहता है।

ओह ये कैसी उलझी

उलझी लटें है।

जैसे बादल बिना

बारिश के बरसता है।

फिर कहां कोई जीता है

कहां मरता है।

हर शख्स जो किसी

प्रेमजाल में होता है।



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