पैगाम
पैगाम
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फिर वसंत में तेरा ख्याल आया है।
मेरे मन में कैसा बवाल आया है।
फिर प्रकृति के प्रलोभन ने हमें
तेरे अश्कों का सबब बताया है।
जाने कितने वसंत ने जाने कितने
बिछड़ो के दर्द को दर्शाया है।
आते हैं खुशियाँ लेके, गम मिटा
देते है सब, वसंत ऐसा ही है उत्सव।
खुश रहना है चमकते रहना है इस
मौसम ने ये पैगाम समझाया है।