Harshita Srivastava
Drama
हम सब है बस इंसान
कल क्या हो इससे अंजान
आज में ही जी ले जो
वो ही तो है बुद्धिमान
अच्छे कर्म करने से
बनते है सब महान
अपना तो सपना है ये
होता रहे सबका कल्याण
हम जन जन के कर्मों से
होता है देश का मान
इसलिए सब मिलकर के
अपनाओ सद्ज्ञान।
अंजान
सवाल विद्यार्...
उत्सव
दुल्हन
पैगाम
मन
एहसास
बहार
प्रेमजाल
बाबा
बहका के सँभालो वक्ष लगा लो मुझको सुनो कभी ये कह न देना मेरा काम नहीं.. बहका के सँभालो वक्ष लगा लो मुझको सुनो कभी ये कह न देना मेरा काम नहीं..
अद्भुत दुनिया में जी रहे जैसे मरने की भी फुर्सत नहीं अद्भुत दुनिया में जी रहे जैसे मरने की भी फुर्सत नहीं
जब मैं और तुम हम हो जाते हैं। जब मैं और तुम हम हो जाते हैं।
मनो मस्तिष्क में शून्य लिए खूब हो रहे अपराध है। मनो मस्तिष्क में शून्य लिए खूब हो रहे अपराध है।
सुना है बहुत घूमते हो दोस्तों के साथ मुझे भी घुमा दो कभी सुना है बहुत घूमते हो दोस्तों के साथ मुझे भी घुमा दो कभी
इसी का नाम है शादी एक अजब सी एहसास। इसी का नाम है शादी एक अजब सी एहसास।
बीते पलो की याद सजाये, मन आज फिर भर आया है। बीते पलो की याद सजाये, मन आज फिर भर आया है।
ढले जो मन के अक्स में उस पर इठलाती है जिंदगी ढले जो मन के अक्स में उस पर इठलाती है जिंदगी
तरक्की उनकी विकास भी उनका करने वाले को मिलती सजा है तरक्की उनकी विकास भी उनका करने वाले को मिलती सजा है
कारण बन जाऊँ किसी की खुशी का ईश्वर से ये आशीष चाहता हूँ कारण बन जाऊँ किसी की खुशी का ईश्वर से ये आशीष चाहता हूँ
तुम्हारे गुस्से से डर लगता है, इसलिए शब्द भी ध्यान से चुनता हूं। तुम्हारे गुस्से से डर लगता है, इसलिए शब्द भी ध्यान से चुनता हूं।
गौरव बढ़े हर मात-पिता का, सबसे ऐसी बात करो गौरव बढ़े हर मात-पिता का, सबसे ऐसी बात करो
वो स्पर्श करके एहसासों के मोती हाँ बहुमूल्य सभी सौगातें करते हैं. वो स्पर्श करके एहसासों के मोती हाँ बहुमूल्य सभी सौगातें करते हैं.
क्यों गिला ग़ैर से करते आप हैं आप ही हैं प्रभार कमी के लिए क्यों गिला ग़ैर से करते आप हैं आप ही हैं प्रभार कमी के लिए
न पा सके जो लक्ष्य कभी भी, उपदेशक बनते आज वही न पा सके जो लक्ष्य कभी भी, उपदेशक बनते आज वही
क्योंकि उसने पहले बदलाव की उम्मीद नहीं की थी क्योंकि उसने पहले बदलाव की उम्मीद नहीं की थी
पशु-पक्षियों को दाना-पानी देते सेवा उनकी करते है।। पशु-पक्षियों को दाना-पानी देते सेवा उनकी करते है।।
आज की दुनिया है कैसी किसको किसने जाना है। आज की दुनिया है कैसी किसको किसने जाना है।
डाल डाल झूला झूलती थी अपनी मनमानी चलती थी डाल डाल झूला झूलती थी अपनी मनमानी चलती थी
अपनी पीड़ा को भूल के चलती, दुख-दर्द किसी का बर्दाश्त नहीं अपनी पीड़ा को भूल के चलती, दुख-दर्द किसी का बर्दाश्त नहीं