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Shashank Shukla

Romance

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Shashank Shukla

Romance

सवाल में मुहब्बत

सवाल में मुहब्बत

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वो बात अभी भी बाकी है जिस बात में तुमने पूछा था

महबूब हूँ या मैं दीवाना?

हूँ झूठ या कोई अफसाना?

मेरी नज़र ये मरती है किसपे?

मेरी ग़ज़ल ठहरती है किसपे?

क्या मेरे ख़्वाब में तेरा पहरा है?

क्या चाँद में तेरा चेहरा है?

मेरी भँवर में क्या तुम डूबे हो?

क्या कुछ चंचल मन में होता है?

क्या सारी रात सितारे गिनते हो?

क्या हर हर्फ़ किताब का मेरा है?

हर मैखाने का साकी तू,

क्या तेरा साकी मेरे जैसा है?

और मैं मन ही मन में कहता हूँ

ये दीवाना है महबूब तेरा

मैं हूँ तेरा ही अफसाना

हर ग़ज़ल पे तेरा पहरा है।

तेरे नाम सा चंचल मन मेरा

चाँद का मुखड़ा तेरे जैसे है।

मेरे पैमाने तेरे जैसे हैं

हर हर्फ़ किताब का तेरा है।

पर मैं कहता नहीं ये सब तुमसे

इस बात को बाकी रहने दो

क्यूंकि एक-तरफ़ा इश्क अधूरा रहता है।।

वो बात अभी भी बाकी है.......


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