सूर्य मकर संक्रांति
सूर्य मकर संक्रांति
बर्फ़ीली हवाओं से
शीत घने कुहरे में
ठिठुरते हुए
घरों में कैद होकर
रहने से आज़ादी है
सूर्य का मकर संक्रांति,
फ़सलों का कफ़स में
कपस के ठंड से
बर्फ तले दब कर रहनें से
नीले खुले आकाश को
देखनें की अद्भुत घटना है
सूर्य का मकर संक्रांति,
अपनी माँ के गोद से
निकल कर खुले घास के मैदान में
उछल कुंद मचाते छौनों का
घास की नर्म नर्म कोपलों को
पर लोटने का
आनन्दायक प्राकृतिक नज़ारा है
सूर्य का मकर संक्रांति,
पिघल कर बूंद से
नीचे गिरते वृक्षों के
शाख़ पत्तों से बर्फ़ का
वृक्षों को नहला धोकर
तरोताजा कर नया जीवन देने का
अमृत घटना है
सूर्य का मकर संक्रांति ,
पेड़ पौधे लताओं के
प्रस्फुटित हृदय कलियों का
खिलकर उन्मुक्त सा हवाओ में
हल्की हल्की धूप में लहलहा कर
भौरें तितलियों को लुभा कर
बुलाने का और उदास फ़िज़ा को
गुलज़ार करने का एक महफ़िल है
सूर्य का मकर संक्रांति,
आसमान में बच्चे युवाओं का
रंग बिरंगे पतंग उड़ाते
मानो अपनी अभिलाषाओं को
छूने का,चाहे ओ कितना भी दूर हो
प्रण लेने का दिन है
सूर्य का मकर संक्रांति,
जीवन की यात्रा पूरी कर
ससीम का असीम में
जीव का ब्रह्म में मिलने का
प्रवेश द्वार खोलता है
सूर्य का उत्तरायण होना
माया मोह को त्याग कर
मोक्ष निर्वाण के लिए
निरंतर सत्कर्म करते रहने का
पुण्यमयी पावन पर्व है
सूर्य का मकर संक्रांति ।।
