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Kavita Sharrma

Abstract

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Kavita Sharrma

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सूरज का संदेश

सूरज का संदेश

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अंधेरे को चीरकर फिर उजाले की किरण फूट पड़ी

प्रकाश ने थामकर जला ली उम्मीद की कड़ी

सूर्य चला स्वर्ण पोशाक पहन कर

किरणों के रथ पर‌‌ सज धज कर

पर्वतों के श्वेत हिम पर स्वर्णिम रश्मियां पड़ रहीं

मानो हंसकर उषा का हंसकर अभिनंदन कर रहीं

रात भर अनमोल मोती जो बिखेरे प्रकृति ने

सूर्य की किरणें उन्हें संभालकर एकत्रित कर रहीं

राजा रवि का स्वागत करने बिखेरी वृक्षों ने फूलों की झड़ी

पक्षियों के कलरव ने संगीत की मधुर तान छेड़ दी

मनुष्य को कर्मरत रहने का संदेश कुदरत दे रही

चलते रहे नित प्रति वही जिंदगी है भली।



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