सूखी नदी
सूखी नदी
सूखी नदी का सूखा तल
उबड़ खाबड़ पथरीला थल
कुंद नोक का घाव प्रबल
विक्षत धरा का वक्षस्थल
आघात गहरा लहू विरल
सूखी नदी का सूखा तल।
सूखी नदी का सूखा तल
बहते आँसू जब अविरल
धारा एक नैन से निकल
रेखांकित करती कोपल
खारा खारा बिखरा काजल
सूखी नदी का सूखा तल।
सूखी नदी का सूखा तल
पूरी गहरी नदी निगल
अजगर सा रेंगता तल
दंश नहीं न कोई गरल
महादेव के माथे का बल
सूखी नदी का सूखा तल।
सूखी नदी का सूखा तल
नियति का ये खेल सरल
जो आज है नहीं है कल
इसका नहीं है कोई हल
कहता हमसे है हर पल
सूखी नदी का सूखा तल।