सुप्रभात
सुप्रभात
सूरज की आभा ओढ़े
नव किरणें आंगन में
आयी है
आँखों को धवलित
करने नव दिवस
प्रभात को लाई है
उठिए कि जग जाग गया
अब नींद की रैना बीत गयी
किंचित जो देखे थे सपने
सच करने का पल द्वार पे है
युग जीता है अब युग को जीतो
वक्त संग चलने की तैयारी हो
अब नर्म गाद का सुख छोडो
दिन-भर लक्ष्य भेद तैयारी हो।