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Raagwaj DIARY

Abstract

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Raagwaj DIARY

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सुनो, कुछ बताना !

सुनो, कुछ बताना !

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चांद हूं मैं, तो दाग तो होंगे ही,

मगर,मेरी चमक में

कोई कमी हो तो बताना,


आसमानों को छू रहा हूं,

मगर अब डर लगता है,

 जहां सुकून से पैर रख सकूं,

ऐसी कोई जमीन हो तो बताना, 


माना वह फरिश्तों की महफिल है,

मगर मैं अकेला नहीं जाऊंगा,

अगर तुम भी वही हो तो बताना।



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