सुनाने भी कौन आयेगा
सुनाने भी कौन आयेगा


ज़िंदगी साथ बिताने भी कौन आएगा
संगदिल तुझ से निभाने भी कौन आएगा।
आइना था वो मेरा दोस्त जो हुआ रुख़्सत,
अब मुझे अक़्स दिखाने भी कौन आएगा।
अब किसी से भी नहीं रूठता हूँ मैं यारों,
रूठ जाऊँ तो मनाने भी कौन आएगा।
हम जो गुमनाम चले जाएंगे ज़माने से,
फिर तुम्हें शेर सुनाने भी कौन आएगा।