सुन सखी री
सुन सखी री
सुन सखी री--
साँसो में संगीत होता है
धक-धक मीत होता है।
सखी री---
साँसो से भी निकलता है संगीत
अरे! क्यों मन बहलाती हो।
साँसें भी होती है कभी किसी की मीत
धक-धक चलती है तो संगीत
रुक गई तो सब जाता है रीत।
धक-धक चलती है तो जहान
मैं और मेरे का बखान
रुक गई तो--
सखी री--
अधूरे रह गए सारे अरमान
मिट्टी में मिल गई पहचान।
सुन सखी री--
साँसो में संगीत होता है
धक-धक मीत होता है।