सुकून
सुकून
आओ सेकें आंच कोई
अपने गम में गम मैं सुना दूँ तुमको।
तुम अपने आँसू दिखा देना
फिर मिलकर अपने राज़ खोलेंगे।
कुछ आँसू कुछ ज़ज्बात बोलेंगे
आओ मिल सेंके आंच कोई।
मैं अपनी बातें जब बोलूँ तुम
सब गम मेरे पढ़ लेना।
जब तुम अपने मन को खोलो
मैं सारे आँसू पी लूँगी।
तपते जीवन की धूप में
कुछ छाया मैं बुन लूँगी।
सुकून मिल जायेगा यूँ ही
आओ सेकें आंच कोई
मिलकर बैठें साथ यूँ ही।