सुहाने थे वो दिन
सुहाने थे वो दिन
सुहाने थे वो दिन जब त्यौहार, त्यौहारों की तरह मनाए जाते थे,
मिलावटों से दूर हर्ष और उल्लास से मनाए जाते थे।
ना कहीं भेदभाव था, ना कहीं जात पात थी,
भांति भांति के त्यौहार थे, और इनकी बात ही कुछ निराली थी।
ना वक़्त की पाबन्दी, ना ही कोई रोक टोक,
और अब का दौर देख लो,
वक़्त की कमी और सब चीज़ों की टोक।
आज के लोग क्या मनाते है त्यौहार,
व्हाट्सएप पे इमोजी सेंड कर बाँट ते है प्यार।
आज सारे त्यौहार,
सिर्फ व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम की सटोरियों तक सीमित रह गए है,
लोग एक दुसरो को मिलना तो क्या,
कॉल करना तो क्या भूल गए है।
मुझे आज भी सारे त्यौहारों की यादें ताज़ा है,
जो सब हमने घर बैठे मनाये थे ।
