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सुभाष स्तुति

सुभाष स्तुति

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को नहीं जानत हिन्दोस्तां

मा नेता जी नाम तुम्हारो

वो खून की मांग-आज़ादी

का वादा, जय हिंद की बोली।


दिल्ली चलो सो नारो

मातृ-पितृ इच्छा पूरण हेतु

तुमको इंग्लैंड पठायो

पढ़ लिखकर शीर्ष

की सरकारी नौकरी पायो।


पीछे छोड़ रूढ़िवादी मानसिकता

ऑस्ट्रिया में प्रेम विवाह रचायो

देश प्रेम के खातिर पुत्री-पत्नी तज्यो

आज़ादी का बिगुल बजायो।


गुलामी की नौकरी छोड़

प्रेम से आपन देश पधारो

चितरंजन बाबू से प्रेरणा ले

बन काँग्रेस के अध्यक्ष

गाँधी चुनौती स्वीकारो।


स्वतन्त्रता संग्राम मा कूद

नेहरू के अंस मा अंस मिला

पूर्ण स्वन्त्रता की मांग दुहरायो

रास न आई शांति के बातें

फॉरवर्ड ब्लॉक बनायो।


कर नेतृत्व आज़ाद हिंद फौज का

नेहरू, गांधी व झाँसी वीग्रेड

अपनी फ़ौजन का नाम दीयो

छुड़ायो छक्के अंग्रेजन के तुम

भारत के द्वीपों को जीत लीयो।


शहीद-स्वराज द्वीपों के नाम दे

इम्फाल कोहिमा धावा दियो

अंतरिम स्वतंत्र सरकार बना

देश की जनता को संदेश पठायो।


गाँधी मा जनता को विश्वास दिला

महात्मा से राष्ट्रपिता बनायो

जापान जर्मनी के दूत बने

तुम हिटलर सा दोस्त बनायो।


भले प्राण तज्यो तुम पर

अंग्रेजन के हाथ न आयो।।


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