सुबह मीठी होती है
सुबह मीठी होती है
मुस्कुराती सुबाह से
हमने भी यह पूँछा था
पहर तो आते जाते हैं पर
तेरा अन्दाज अनुठा था
क्यों दिन की शुरुआत तुम्हारे
आने पर ही होती है
जब तक तुम ना मुँह दिखलाती
दुनिया चैन से सोती है
तारे तुम्हारे साथ पलभर
क्यों नहीं रुकना चाहते हैं
पेड़ तुम्हारा स्पर्श पाकर
क्यों नहीं झुकना चाहते है
शबनम तुमसे आँख चुराकर
जाने क्यों जाने लगती है
चिड़िया तुम्हारे आने पर
गीत क्यों गाने लगती है
फूलों को क्या मिलता है
जो वो खिलने लगते हैं
और किनारे लहरो से
जाने क्यों मिलने लगते हैं
क्या इन शीतल हवाओं से
तुम्हारा गहरा नाता है
चाय की इच्छा हर कोई
सुबाह को फरमाता है
किसी मौसम की सुबाह हो
वो सबको रिझाने लगती है
और सुबाह के जाते ही
धूप आने लगती है।