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सुबह का भुला

सुबह का भुला

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आधा काम हो चुका समझो,

यदि की है हमने  एक अच्छी शुरुआत

शुरुआती भूल बड़े दु:ख देती,

जैसे सुबह के भूले की मंजिल की बात।


पूरा दिन अच्छा ही गुजरता, जब सुबह सुहानी होती है

प्रभु को याद करें सुख मानें, तब सुखी ये दुनिया होती है

सब लगें खुश जब होएं खुश हम, हम दुखी तो दुनिया रोती है

नियत लक्ष्य हासिल होता है, जब हर पल सजगता होती है

पग-पग कर हम आगे बढ़ पाते, पल भर में बिगड़ें हालात

आधा काम हो चुका समझो।


जागरूक अनवरत रहें और, रह सजग सदा सत्कार्य हम करते रहें

किए काम की सतत समीक्षा, और भावी नियोजन भी करते रहें

होंगे क्या प्रभाव हम सब पर, यह अध्ययन भी हम सदा करते रहें

अहित न होने पाए किसी का, कार्यों के दुष्परिणामों से भी डरते रहें

अनियंत्रित निर्णय की भूल करें न, कहीं बिगड़ न जाए बनी हुई बात

आधा काम हो चुका समझो।


सब हो भला अंत जब अच्छा, गड़बड़ कोई सदा ही बुरी है

लालच-आलस-बेकाबू मस्ती,सद्प्रयासों पर एक मीठी छुरी है

उचित मंत्रणा - सतत प्रेरणा,  लक्ष्य प्राप्ति की अटल धुरी है

सफल वही है वसुन्धरा पर, योजनाएं तो जिसकी ओज भरी हैं

अव्वल गलती ही नहीं होगी, हो गई तो बना लेगा बिगड़ी बात

आधा काम हो चुका समझो।


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